अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे

विचार मरते नहीं,
शब्द चिरायु है,
आपके कहे हर शब्द,
आपकी लिखी हर बात हमारे बीच है, और रहेंगी।
राष्ट्र सदैव आपका ऋणी रहेगा,
हिन्दी, हिन्दू और हिंदुस्तान को आपके जाने का दुख है पर फिर आशाएं भी है कि आपके लगाए पौधे इस चमन के चेहरे को बदल देंगे।
आपकी सदा ही जय हो हे महामानव, आपने मेरे और मेरे जैसे लाखों लोगों का लेखन और राजनीति में रुचि उतपन्न किया। आप बैकुण्ठ वासी हो यही यही कामना।

अटल जी की यह कविता आज बहुत रुलाती है। आपने मौत पर एक कविता जीतेजी ही लिखी उसे ही दुबारा लिखता हूँ।

ठन गई!
मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?

तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।

मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

4 thoughts on “अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे

Add yours

    1. भारतीय राजनीति में अटलजी से भीष्म कोई न हुआ, हिन्दी, हिन्दू और हिंदुस्तान के लिए किए गए इनके सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा

      1. बिल्कुल।उनके योगदान को गाया नहीं जा सकता। जो सीख दे गए भुलाया नहीं जा सकता।इस भूमि पर परम् आदरणीय स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री,अब्दुल कलाम और अटल विहारी वाजपेयी जैसे चंद ही ऐसे लोग हैं जिन्हें खोने के बाद ऐसा लगता है जैसे हमने सबकुछ खो दिया और बिन पूछे ही आँखों में आँसू आ जाते हैं। आज पुनः हम मौन हैं। क्या बोले हम इस युग पुरुष के बारे में।ईश्वर उन्हें स्वर्ग प्रदान करें :-
        “रार नही ठानूँगा,हार नहीं मानूँगा,”

Feedback Please :)

Create a free website or blog at WordPress.com.

Up ↑