आज एक और दिसम्बर बीत गया..

दिन बदलते-बदलते,
अब ये बरस भी बदल गया।
धीरे धीरे ही सही,
ये मंजर सारा बदल गया।

द्रुत रफ़्तार से बढती जिंदगी,
उस मोड़ से आगे निकल गयी,
जहाँ दोस्तों का निर्मोह साथ था,
वो मोड़ अब पीछे छुट गया।

एक मयूरी जहाँ मिलती थी,
जहां छोटे बच्चो संग मस्ती किया करते थे,
अपने धुन में खो खुद की करना,
वो ज़माना अब पीछे छुट गया।।

जिंदगी मुझे मिली थी दिसम्बर में,
आज एक और दिसम्बर बीत गया।

कल शाम मिली थी वो…

janebaharकल शाम मिली थी वो
थी थोड़ी सकुचाई,
थोड़ी शर्माई,
पुछा जब हमने,
कारण उन्होंने अपनी व्यस्तता बताई।
वो दिखी जो परेशान,
उनसे कहा था हमने,
मत दो ध्यान, ए जानेबहार,
ये गुल कर लेगा, थोडा और इन्तेजार।।

वो हुयी थोड़ी सहज,
थोड़ी मुस्काई भी थी,
लाल भाव से चेहरा,
वो बेताब सी थी।
टोका उन्होंने, कहा,
बातें अच्छी करते हो आप,
कि सुनाओ कुछ ऐसा,
मै छू लूं आसमान।।

मुझे आता ही क्या है,
बस उनकी तारीफ़,
हम लगे तब पढने,
जो भी भाव थे उनके।
कहा हमने उनसे,
वो ग़ज़ल की पूरी किताब है,
अब पढूं मै कौन कलाम,
अब ये वो ही बताये।।

उन्होंने इशारों में कहा,
जो भी नाचीज फरमाए,
पूछा फिर हमने उनसे,
कि तुम्हारे नैनों में जो लिखा है,
कि जो ये होठ कहने को बेताब,
कि जो गूंजती है तेरे कानो में,
कि जो धड़कन तेरे गाये,
बोलो पढू कौन फज़ल,
की ये गुल कौन सा नगमा गाये।।

वो वापस सकुचाई,
थोड़ी शर्माई,
नजरें मिलाके,
थोडा मुस्कुरा के,
सिमटी मेरी बांहों में,
बोली आज तुम अपनी धड़कन सुनाओ,
हमारी धुन को मिलवाओ,
जो भी है प्यास उनको, आज पूरी कर जाओ।।

गिर गए तब हम प्यार में,
फिर संभलना कहाँ था,
खो गए उनकी आँखों में,
फिर मिलना कहाँ था।
क्या बात, क्या दुनिया,
कुछ भी याद न रहा,
हम लिपटे रहे कब तक,
कुछ ध्यान न रहा।।

उनके दिल की धड़कन को,
महसूस तब की थी,
है कितना प्यार हम में,
उस तड़प में देखी थी।
उनकी धड़कन तब बिलकुल,
मेरे धुन गा रही थी,
क्यूँ होता है हर पल में इन्तेजार,
उस शाम बयां हुयी थी।।

हाल हमारा एक सा ही,
जो दूर होते है,
ढेरों बातें होती है,
और जब साथ होतें है,
ये धड़कन, ये साँसे,
ये आँखें बोलती है,
और तब होठ हमारा,
बिलकुल सहमा होता है।।

है एक सच ये भी,
की जो धड़कन गाती है,
जो नजरें सुनाये,
साँसों में जो एहसास है,
वो ये लब कहाँ से लाये।
शायद उनको भी ये मालूम है,
जो सुनती मिलके, है धड़कन वो,
करके होठों को खामोश,
कहती है हर बात, नजरों से वो।।

उस शाम यही हुआ था,
बातें शुरू होते ख़तम थी,
और हम आँखों में उलझकर,
कहीं और खो गए थे।
बातों को छोड़कर हम,
धडकनों को सुन रहे थे,
साँसों से मिला सांस हम,
एहसास जता रहे थे।।

कुछ भी न था कहने को,
सुनना भी नहीं था कुछ,
हम नजरों में डूब कर तब,
एक दूजे में खो गए थे।
क्या थी बेकरारी,
क्यूँ थे मिलने को बेचैन,
आया समझ उस शाम,
हमें उस एहसास को जीना था।

-सन्नी कुमार

ये सर्द सुबह है धुंध भरा…

Related imageये सर्द सुबह है धुंध भरा,
सबकुछ मानो जमा परा,
धुंध ने धरती को आकाश बना,
चहुओर बादल है भरा,
इन बादलो में देख पाना,
था घर से निकलते वक़्त का भूल मेरा।

इस सर्द की कठुरता का,
खैर मुझे कोई मलाल नहीं,
इन बादलों के पार नयी दुनिया है,
दिल को ये विश्वास है,
मेरा है वो कर रही इन्तेजार,
उससे मेरी ये आस है।

उसी दुनिया से मिलने की ख्वाहिश,
इन बादलों में लेके आयी है,
बढ़ रहा मंजिल की और,
उम्मीदे के पर लिए हुए,
अगले पल में ही मिल जाएगी वो,
ऐसी ही कुछ हसरत लिए हुए।

इन रास्तो से पहले भी गुजरा हूँ,
मै हजारों बार,
पर धुंध से ऐसी सजावट,
देखी है पहली बार।
नयी दुनिया की राह बादलों से, सोचा था,
आज हो रहा ऐतबार।

वो रोज के मिलने वाले आज,
इन बादलों में दिखे नहीं,
चिड़ियों के चहकने की आवाज,
आज हमने सूनी नहीं,
मैं अकेला इस वीरान सड़क पे,
कोई साथी पथिक दिखा नहीं।

“है इतनी ठण्ड तुम कहाँ जा रहे हो बेटा”,
घर से निकलते वक़्त माँ ने यही पूछा था,
उनसे बचने के लिए,
“गुरूजी ने बुलाया है” उनको यही बताया था,
हाँ था ये गलत पर क्या करें,
ये सर्द कठोर इसको भी,
आज ही एकदम से आना था,
मैं कैसे कह पाता माँ से,
इस शीतलहर में मै वादा निभाने जा रहा।

निकल चूका हूँ घर से अब मैं,
ख्वाबों की और मै बढ़ रहा।
मिल जायेंगी अगले मोर खड़ी वो,
ये सोच के मै मुस्का रहा।
-सन्नी कुमार

मेरा ख्वाब हो तुम

Tum Hoतुम कौन हो …?

तुम जरूरत हो, ख्वाहिश हो, आदत हो या हो कोई कमजोरी,
जो भी हो इस बदले अंदाज़ का राज हो तुम,
इस मुस्कान के पीछे नाम हो तुम,
मेरा इंतज़ार मेरा ख्वाब हो तुम।।

तुम वो किताब हो जिसे सीने से लगा, बंद आँखों से मै पढता हूँ ,
तुम वो आवाज़ हो जिसको अपनी धड़कन में मै अब सुनता हूँ,
तुम्हारी बेकरारी को इन साँसों में महसूस करता हूँ,
तुम आँखों में हो और फिर भी अपने हर पल में तुम्हें दूंढ़ता हूँ …

मेरी उलझन को जो सुलझाये वो डोर हो तुम,
मेरे शब्द मेरे बोल हो तुम,
मुझे नहीं पता कि कैसी आदत कैसी जरूरत हो तुम,
मै खुश हूँ की मेरी सिर्फ मेरी हो तुम।।

-सन्नी कुमार

चाहत..

u r d 1मेरी चाहत आज उड़ने को तैयार है,
कि उसके पंखो को आज,  मै जान दूं।
उसकी नजरो में दुनिया अब और भी हसीन हो,
कि इस दुनिया को आज, मै संवार दूँ।
वो भोली, भूली है सबकुछ मेरे प्यार में,
कि उसके सारे सपने आज, मै जमीं पे उतार दूँ।।

अधुरा था अब तक मै उसके बिना,
ख्वाहिश अब हर लम्हें में उसके साथ रहे।
न गुजरे मेरा दिन उसके बिना,
चाहत उसका मुझमें गुलज़ार रहे।
न भाये आँखों को कुछ भी उस हूर के बिना,
हसरत, जानेबहार इन आँखों में रहे।।

-सन्नी कुमार

ये दिल मुझसे कहता है..

Nashaa teri aanko ka

अपने धुंधले ख्वाबों को,
अपने उलझे सवालों को,
बाँट लूँ तुमसे दिल कहता है..
अपने दिल की हसरत को,
ख्वाबों के इस जन्नत को,
बाँट लूँ तुमसे दिल कहता है..

मेरा जो भी मुझमें है,
ख्वाब तेरा ही उनमें है,
हर शब्द में जिक्र तुम्हारा है,
आँखों में ख्वाब तुम्हारा है,
बतला दू मै सबकुछ आज,
ये दिल मुझसे कहता है..

इस चेहरे की मुस्कान तुमसे है,
और चैन का कारण भी तुम हो..
हर ख्वाहिश में चाह तुम्हारी है,
जीने का अरमान भी तुम ही हो,
बतला दू मै सबकुछ आज,
ये दिल मुझसे कहता है..

तेरी निगाहों में बसने की,
होठों पे तेरे रहने की,
इस दिल की बस ये चाहत है..
तुमसे तुमको मांग लूँ मै,
जी लूं अब सपने साथ तेरे,
ये दिल मुझसे कहता है..

तुम्हे चुरा लूँ दुनिया से,
मै, सैर करा लाऊं ख़्वाबों की,
ये दिल मुझसे कहता है..
मेरे दिल में जो तस्वीर बसी है,
मिलवाऊं मै उससे आज,
ये दिल मुझसे कहता है..

अपने धुंधले ख्वाबों को,
अपने उलझे सवालों को,
बाँट लूँ तुमसे दिल कहता है..
अपने दिल की हसरत को,
ख्वाबों के इस जन्नत को,
बाँट लूँ तुमसे दिल कहता है..

-सन्नी कुमार

तुम पीछे छोड़ चुकी मधुशाला को..

u r my world
नशा चढ़ता है तेरी बातों का,
जब तुम नजरों से उल्फत के जाम पिलाती हो।
मै मदहोश सैर करता हूँ जन्नत का,
जब तुम बालों में हाथ फिराती हो।
हौसला मिलता है गम, रंज, छोड़, जिंदगी जीने का,
जब तुम देख मुझे मुस्काती हो।

जादू चला है इस चेहरे का ऐसा,
की कुछ और देख नहीं पाता हूँ।
मै कर लूँ बंद अपनी आँखें,
फिर भी दीदार इन्हीं का पाता हूँ।
खुशबू बन साँसों में तुम मिल गए हो ऐसे,
की हर पल में अब तुमसे, तुम्हें ही जीता हूँ।

इस अलसाई जीवन में,
सुबह की स्फूर्ति लाती हो
बदरंग हो रही दुनिया को,
तुम शाम हसीं बनाती हो,
कभी छू नहीं है होठों से मैंने,
मय और उसके यारों को,
फिर भी मुझसा कोई मदहोश(मदमस्त) न हुआ,
तुम पीछे छोड़ चुकी मधुशाला को..

-सन्नी कुमार

मेरी छोटी सी खता से..

मेरी छोटी सी खता से, खफ़ा हो गये तुम।
इतने रुठे की दुर हो गये तुम।
तेरे युं बिछरने का इतना है मुझे गम
कि चाह कर भी आँसुओं को रोक न सकेंगे हम।
जितना चाहा भुलाना तुम्हे,
उतना ही याद आये तुम।
सोचा तुमसे दूर होना,
पर ये न कर सकेंगे हम।
अब भी दिल मेरा ये मानने को तैयार नहीं,
कि मेरी छोटी सी खता खफ़ा हो गये तुम
ऎ दोस्त मेरी जिन्दगी,
तुमसे ही सजी है।
मेरी सारी खुशी,
तुमसे ही जुरी है।
तुम जो नहीं यहाँ,
मेरी दुनिया ही नहीं है।

– सन्नी कुमार

क्यूँ है वो हमसे ख़फा…

ऐसा क्या हमने उनको लिखा,
जो हो गयी वो हमसे खफा,
उन अल्फाजों में मेरे ख्याल थे,
हकीकत होने वाले सब ख्वाब थे,
जो भी था मैंने दिल से लिखा था,
उनको अपना जानकर लिखा था,
फिर क्यूँ है आज वो हमसे खफा,
जिनसे हमने की है हरदम वफ़ा।।

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उसकी सौ हाँ ने उम्मीदें जगाई थी,
पर उसके एक ना ने दिल तोड़ दिया…
उसकी हर बात दिल को छूती थी,
क्यूँ उसकी ख़ामोशी ने हमें तोड़ दिया…

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कुछ छोड़ देना मेरा मुझमें,
जाने सब रंगती जा रही हो,
कल मिला था मेरा बीता कल मुझसे,
बोला बड़ी तेजी से तुम बदलते जा रहे हो…

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आज मिलो जो अगर मुस्कुरा के मिलना,
झूठा ही सही पर प्यार से मिलना,
नींदों ने जगाया बहुत है तुम्हारे सपने दिखाकर,
तुम दिल रख लेना मेरी बातों पर मुस्कुरा कर…

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सब भूल गया हूँ तेरी इन आँखों में,
अब तुम ही रहती हो मेरी आँखों में,
न मालुम कौन, कहाँ, किस हाल में है,
मुझे मालुम मेरा ख्वाब मेरे साथ में है…

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अब रूठ के खुद पे गुस्सा करना अच्छा लगता है,
अब टूट के गिरना अच्छा लगता है,
ख्वाब जो देखें टूट गए,
पर उनमें ही जीना सच्चा लगता है।
हकीकत लाख हसीं हो गयी है लेकिन,
हमें ख्वाबों में रहना अच्छा लगता है।।

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तुम आने का वादा तो करो,
मै इन्तेजार में गुजरने को तैयार हूँ,
तुम मिलने की उम्मीद जो दो,
हर मोड़ पे रुकने को तैयार हूँ,
अपने हसीं ख्वाब जो दो,
मै ख्वाबों में ही जीने को तैयार हूँ।।
तुम अपनी मुस्कान का राज जो दो,
इनको जाने का कभी मै मौका न दूँ।
तुम आने का वादा तो करो,
मै इन्तेजार में गुजरने को तैयार हूँ,

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ऐसी भी क्या किसी ने चाहत की होगी,
बिना देखे माशूक से मुहब्बत की होगी,
ख्वाब देखते वक़्त ही टूटना लिख दिया उसने,
और मुहब्बत के आग ने वो दस्तावेज जला डालें..

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सुबहों से हमेशा उम्मीद होनी चाहिए कोई शिकवा नहीं,
पर क्या करें कोई जब रात इतनी भयानक गुजरी हो,
दिल टुटा हो, आँखें रोई हो,
तब आसान नहीं होता सुबह से नयी शुरुआत…
है यकीं इस सुबह को की वो रात फिर से लौटेगी,
यकीं ये भी की वो और हसीन हो लौटेगी,
देने को फिर से चाँद और सितारे होंगे उसके पास,
और नींदों में ख्वाब भरने की उसकी इक्षा होगी ख़ास…
जो लौटी वो आज मेरी हो के रह जाएगी…
गर न आयी वो आज,
मै भी छिपा लूँगा उसके हर ख्वाब को,
खोया तो पहले भी था,
अब ख़त्म कर दूंगा सारे ख्वाब आज…

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– सन्नी कुमार

इस उम्मीद में अब चलता हूँ…

Miss u my loveजो गुजरा आज तेरी गलियों से,
तेरे होने का एहसास था,
पर तुम मिली नहीं वहाँ,
जहाँ तेरा आशियाँ था…

ढेरों थे हसरत,
कि मिलोगी तुम आज हमें,
जो भी है जज्बात हमारे,
बतला दूंगा आज तुम्हें…

जो गुजरे तेरे चौखट से,
आँखों को तुम्हारा तलाश था,
मिल के तुमसे दो शब्द बांट लूँ,
रह गया जो अधुरा, ये ख्वाहिश था…

तुम्हारी महक उन बागों में अब भी है,
पर फुल मेरी वहां तुम मिली नहीं,
उस पेड़ पे अब भी साथ नाम हमारा है,
मोरनी मेरी वहां तुम मिली नहीं…

रात सी तकदीर तो पहले भी थी अपनी ,
पर चांदनी तुमने तब हमे रोशन किया था,
आज तुम बिन गुम सा गया हूँ,
तुम्हारी याद में रौशनी खुद को खो सा गया हूँ…

आज इन गलियों से गुजकर,
उन यादों में जीता हूँ,
की मिल जाओगी अगले ही मोड़ पे,
इस उम्मीद में अब चलता हूँ…

– सन्नी कुमार

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