मेरे मित्र ॐ ने आज फेसबुक पे अपनी ये 2 साल पुरानी पोस्ट शेयर की थी
अब तक सफर अच्छा रहा,
इस मोड़ से अब जाए कहाँ,
रास्ते में जो भी हो,
हम ढूंढेंगे अपना जहाँ।
छोटी-छोटी खुशियों के लिए क्यों तरसे लम्हें,
बड़े-बड़े चोट खाकर आये है, सफर मीलों का तय कर के।
मुझे दोस्त का पोस्ट पसन्द आया, कमेंट करने गया तो वहां मेरा पहले से कमेंट था जो इस तरह है।
रास्तों की ठोकरें,
सम्भल कर चलना सिखाती है,
तू मगरूर, मदहोश तो नही,
ये ठोकरे बताती है..
जो डरा नहीं तू ठोकरों से,
जो टूटा नही गिर जाने से,
मंजिल तमको मिल जानी है,
हर सफर की यही कहानी है।
बात मोड़ों की जो समझो,
ये मोडें बहुत कुछ सिखलाती है,
लक्ष्य तुम्हारा कितना पक्का है,
ये मोडें ही बतलाती है।
उल्झों नहीं मोड़ो को लेकर,
पथिक का तुम धर्म निभाओ,
रुको नहीं तुम बीच राह में,
बस तुम लक्ष्य को बढ़ते जाओ।
-सन्नी कुमार
Recent Comments