होना तुम्हारा

Sunny&Preeti1बहुत खास है मेरे लिए,
होना तुम्हारा..
खिलते है जिन ख्वाबों से,
उनमें है आना तुम्हारा.
हूँ हर्षित जिस हकीकत से,
उनमें है जीना तुम्हारा..

लोग पढ़ते है जिसको जान के कविता,
उनमें है बस जिक्र तुम्हारा.
जिंदगी और इसकी कहानी,
है दोनों ही अधूरी,
गर न मिलें इनको साथ तुम्हारा…
-सन्नी कुमार

Bahut khaas hai mere liye,
hona tumhara..
khilte hai jin khwabon se,
unmein hai aana tumhara..
hoon harshit jis haqeeqat se,
unmein hai jeena tumhara….

Log padhte hai jisko jaan ke kavita,
unmein hai bus jikra tumhara,
jindagi aur iski kahaani,
hai dono hi adhoori,
gar na mile inko saath tumhara.
©-Sunny Kumar

[Image credit:- Google Images]
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ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम
गलती न मेरी थी, न उनकी थी
ये सर्द सुबह है धुंध भरा…
तस्वीर किसान का
काश दीवारों के भी जुबान होते

अपने पराए हो गए

कुछ ख्वाब हकीकत हो गए,
और कुछ हकीकत ख्वाब हो गए,
जिंदगी ने ली कुछ करवट ऐसी,
कि कुछ पराए अपने हो गए,
और कुछ अपने पराए हो गए।
-सन्नी कुमार

काश दीवारों के भी जुबान होते

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Sunny Kumar

काश दीवारों के भी जुबान होते,
फिर हम उस महफ़िल में न बदनाम होते,
लोगों का दोष क्या कहे अब,
जब भीष्म मजबूरी का रोना रोते रहे,
और कौरव घिनौनी हरकतों पे हंसते रहे,
शुक्र है कि कल द्रौपदी को बचाने आये भगवान कृष्ण थे,
पर आज क्यों कृष्ण दीवारों में ही कैद रहे?
काश जिस इमारत ने देखी थी नीति और नियत मेरी,
उन दीवारों के जो जुबान होते,
फिर हम उस महफ़िल में न बदनाम होते…
-सन्नी कुमार ‘अद्विक’

मेरी अन्य कविताओं को गूगल करके पढ़ सकते आप, बस आप ‘Poems by Sunny Kumar’ लिख कर ढूंढे। अबतक लगभग 90000+ लोगों ने मेरे ब्लॉग को पढ़ा है आप पढ़े तो और अच्छा लगेगा। 🙂

Krishna Bless Us.

कोई करिश्मा तुझमें है

ऐसा क्यूं है कि जो खोया था कभी उसका अक्स तुझमें है,
ये मुहब्बत की आदत मेरी है या कोई करिश्मा तुझमें है…
-सन्नी कुमार
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क्या इंसान भी फलों सा होता है?
जो बाहर से ज्यादा मीठा वो अंदर से सड़ा होता है??
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तुम याद आती हो अब भी रोज़, पर फिर मैं भुला देता हूँ,
दिल चाहता है तुमसे रूबरू होना, पर हसरतों को दिल में दबा देता हूँ,
आज भी उलझता हूँ, उन रूठे ख्वाबों को सहेजने में,
पर अब हकीकत की खुशी है इतनी,
कि जिन्दगी को कर शुक्रिया, बस मुस्कुरा देता हूं…
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क्यूं संवरती हो उस आईना को देखकर,
संवरा करो तुम इन आँखों में झांककर,
आइना जिससे मिले उसी का हो जाता है,
और ये आँखें है जो सिर्फ तुमको बसाता है..

बस मुस्कुरा देता हूं…

तुम याद आती हो अब भी रोज़, पर फिर मैं भुला देता हूँ,
दिल चाहता है तुमसे रूबरू होना, पर हसरतों को दिल में दबा देता हूँ,
आज भी उलझता हूँ, उन रूठे ख्वाबों को सहेजने में,
पर अब हकीकत की खुशी है इतनी,
कि जिन्दगी को कर शुक्रिया, बस मुस्कुरा देता हूं…
-सन्नी कुमार

हर सुबह जिस आंगन में..

img_3104हर सुबह जिस आंगन में,
हजारों ख्वाब खिलते है,
चाहत की हर उड़ान को,
जहाँ पर पंख मिलते है,
है वही आँगन मेरा,
जहाँ हम रोज संवरते है..

कौतूहलता की हर रात का जहाँ,
अंत होता है,
ज्ञान से प्रकाशित वह चौखट,
जहाँ हमारा भोर होता है..
-सन्नी कुमार

कुछ कदमों तक साथ तो दो..

IMG-20170809-WA0008Another poem by me, written for a very special friend whom i meet over Internet in 2012. Enjoy Reading!!
मत आना साथ मंजिल तक, पर कुछ क़दमों तक साथ तो दो..
मत सजाना मेरी दुनियां तुम, पर एक मीठा याद तो दो..
मत मिलना तुम हकीकत में, पर अपने हसीं ख्वाब तो दो..
मत दो मुझे कोई गम, पर जो भी है तुम्हारे वो बाँट तो लो।

दो पल तेरे साथ चलने से चलना सीख लूँगा, यकीं है..
तेरी यादों से अपनी दुनिया रंगीन कर लूँगा, यकीं है..
ख्वाब तुम्हारे हो तो जिंदगी यूँ ही हसीं हो जायेगी, यकीं है..
तेरे गम बाँट के ही अब मै खुश रहूँगा, यकीं है।

न करो तुम कोई वादा, पर इन्तेजार का हक तो दो..
मत आओ मेरे ख्वाब में, पर उन्हें देखने का हक तो दो..
मत हंसो तुम मेरी बातों से, पर अपने आंसू बाँट तो लो..
मत उलझो मेरी बातों में, पर ये जो भी है उसे सुलझाने का मौक़ा तो दो।

तेरे इन्तेजार में भी जी लूँगा, यकीं है..
तेरे ख्वाबों से हकीकत में रंग बिखेरूँगा, यकीं है..
तेरे आंसुओं को बाँट ही खुश रहूँगा, यकीं है..
तेरी उलझनों को एक दिन सुलझा लूँगा, यकीं है।

मत बांटो तुम हमसे अपने गुजरे हुए दिन, पर खोयी मुस्कराहट का कारण तो दो..
मत सुनो तुम अपने दिल की बात, पर इस दिल में है क्या वो बता तो दो..
दुनिया आपकी दीवानी हो जायेगी, पहुँचने का उनको बस पता तो दो..
होंगी हर ख्वाहिश पूरी, अपनी हसरतों को तुम पंख तो दो।

तेरे मुस्कुरा देने भर से गुल खिल जाएगा, यकीं है..
दिल के सारे अरमान पूरे हों जायेंगे, यकीं है..
खुशियाँ भी अब आपका पता पूछेंगी, यकीं है..
तुम हंस के फिजा में फिर से रंग बिखेरोगी, यकीं है।

-सन्नी कुमार ‘अद्विक’

https://sunnymca.wordpress.com/2012/11/07

बस तू नजर आये

Tu Najar Aayeकभी मौत मेरे जब करीब आये,
दुआ मेरी उस घडी भी तेरा ही ख्वाब आये,
आँखों में हो आंसूं मंजूर हमें,
पर मेरे आखिरी घडी में तू नजर आये…
-सन्नी कुमार

kabhi maut mere jab karib aaye,
duaa meri us ghadi bhi tera hi khwaab aaye,
aankhon mein ho aansu manjur humein,
par har un ghari mein bhi bus najar tu aaye..
luv u dost…

Doha (Two Liners)

Prasu-Kuchipudi (33)कहते है किसी के चले जाने से जिंदगी ख़त्म नहीं होती,
पर क्या साँसों का चलना भर ही जिंदगी है?

[Khate hai kisi ke chale jaane se jindagi khatm nahi hoti,
Par kya sanso ka chalna hi jindagi hai?]

इश्क दुआ है, इश्क नशा है,
इश्क है सांस और इश्क ही हवा है..
 
[Ishq duwaa hai, Ishq nashaa hai,
Ishq hai saans aur ishq hi hawaa hai…]

वो लोग, जो कल तक हमारे लिये दुआएं करते थे,
वही आज तुम्हें भुलाने की सलाह देते है..
[Wo log, Jo kal tak humaare liye duaayein karte the,
wahi aaj tumhein bhul jaane ki salaah dete hai..]

 

हर ख्वाब पूरा नहीं होता,
पर ख्वाब में कुछ भी अधुरा नहीं होता..
[Har khwab pura nahi hota,
par khwab mein kuchh bhi adhura nahi hota..]

मिले फिर वही जो कल भी मिले थे,
पर मिलें इस कदर कि वो बिलकुल नए थे..
[mile phir wahi jo kal bhi mile the,
par mile is kadar ki wo bilkul naye the..]

घुटता है दिल, कुछ कह भी नहीं पाता,
छोड़ गया मेरा कल, आज अब हंस भी नहीं पाता..
[ghutata hai dil, kuchh kah bhi nahi paata,
chhor gayaa mera kal, aaj ab hans bhi nahi paata]

क्या हस्ती है तुम्हारी..
मुहब्बत हम  कर नहीं सकते और नफरत तुम करने नहीं देती..
[Kya hasti hai tumhari..
Muhabbat hum kar nahin sakte aur nafrat tum karne nahin deti..]

अब और नहीं तड़पाओ,
अब और न हमको सताओ,
मै दूर तुमसे चला जाऊं,
आखिरी बार तो मिलने आओ.

[Ab aur nahin tadpaao,
ab aur na humko sataao,
mai door tumse chalaa jaaun,
aakhiri baar to milne aao]

-सन्नी कुमार
[एक निवेदन- आपको हमारी रचना कैसी लगी कमेंट करके हमें सूचित करें. धन्यवाद।]

क्यूंकि अजनबियों से कोई रोष नहीं होता..

U're My Life..!
Bujji, U’re My Life..!

कल जब तुम मुझे बुरा बोलती,
तो कोई दुःख न होता,
क्यूंकि अजनबियों से कोई रोष नहीं होता..

कल जब हंसती तुम मेरी बातों पर,
तो एक अलग अलग ही शुरूर होता,
क्यूंकि गैर को अपना बनाने का मुझपर शुरूर होता..

और आज जब तुम अपने हुए हो,
तो तुम्हारी हर बात में मतलब ढूंढते है,
शिकन आये जो तुम्हारे चेहरे पर
तो उसकी वजह हम ढूंढते है..

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Kal jab tum mujhe buraa bolti,
to koi dukh na hota,
kyunki ajnabiyon se koi rosh nahi hota..

kal jo tum hansti meri baaton par,
to ek alag hi mujhpe shuroor hota,
kyunki gair ko apna banaane ka junoon hota..

aaj jab tum mere apne ho,
to tumhari har baat mein matlab dhundhte hai,
shikan aaye jo chehre par.
to uski wajah hum dhundhte hai..

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