भक्तों कब सुधरोगे!

नेहुल आंधी की सरकार को ब्राज़ील वाले नमस्ते और धन्यवाद बोल रहे है। भूटान-नेपाल-म्यांमार-बंग्लादेश तो मुफ्त में मिले टीकों से इतने आह्लादित है कि वो कांग्रेच को वहाँ की राजनीति में आने का प्रस्ताव भेजने पर विचार कर रहे है। याद दिला दे कि जब
नेहुल और कांग्रेचियों ने कोरोना वैरियर्स को सम्मान, समर्थन देने के लिए ताली-थाली पीटा था तब विपक्षी मूडी और उनके भक्त उस भावना में तर्क ढूंढ रहे थे यह तर्क ढूंढने की कला कुछ वैसा ही था जैसे हमारे स्वसंज्ञानी माननीय लोग “जलिकट्टू” उत्सव में ढूंढते है पर बक़रीद के कुर्बानी पर मौन हो जाते है!

ख़ैर कहते है न कि “हर काली रात का सुबह भगवा होता है” हमारे प्रधानमंत्री श्री नेहुल जी के कुशल नेतृत्व में इस वैश्विक आपदा (ट्रम्प चिचा के शब्दों में चीनी वायरस) को अवसर में बदला और देखते-देखते हम शून्य से शिखर तक आये और हमारा लोकल के लिए वोकल होने का मंत्र सफल हो गया जब छोटे छोटे महिला समूहों ने भी PPE किट्स बना कर निर्यात करना शुरू कर दिया। बीमारी से लड़ने के लिए कार्पोरेट्स ने भी लीक से हटकर किया और किसने सोंचा था कि ट्रैक्टर बनाने वाली कम्पनी डायलिसिस और अन्य इक्विपमेंट्स बनाने लगेगी और अब जब चीनी रोग का भारतीय इलाज़ देश क्या विदेशों में भी हो रहा है तब क्रिटिकल भक्ट्स क्रेडिट देने के बजाय उस ख़बिष पत्तलकार को उकसा कर किसी तरह वैक्सीन फ़ेल हो जाए मनाने में लगे है, और उनके नासमझ बड़वक्ता पूछते है कि प्रधानमंत्री कब लेंगे कोरोना की टिका मानो उनकी सरकारें जब नसबंदी स्कीम लाई थी तब उनके अजय चा ने इस कैम्पेन की शुरुआत खुद की कराकर की हो! ख़ैर इस देश मे ऐसा कभी नहीं होता, एलीट मिले हुए है, वैसे भी हमने आंधी चुना है नेतन्याहू नहीं..!

खैर पत्तलकार की चर्चा आ गई थी तो एक जानकारी दे दूं कि रिद्धि खानदान, MDTV वाली जी को जो हार्वर्ड में प्रोफेसर पद मिला था उसमें श्री आंधी जी का कोई हाथ नहीं है और ऐसे कयास है कि यह किसी घनघोर खान्ग्रेची की हरकत है और सम्भवतः इसकी जांच साइबर सेल(बैंक फ़्रॉड्स तो पकड़ पाते नहीं सो ये कर ले) कर रही होगी!

मुद्दे से भटक गया, मैं मुआफ़ी चाहूंगा। कुल मिलाकर यही कहना है कि दो-हजार-विष में इन भक्तों ने बहुत अफ़रा तफ़री मचाने की कोअशीष की, जब नेहुल जी ने टुकड़े-टुकड़े गिरोह के शियारों का पर कतरा तब ये भक्त उनके सपोर्ट में खड़े हो लिय्ये, जब सेना ने निर्लज्ज आतंकी मुल्क AKA पाकिस्तान को उनके घर मे घुसकर पीटा तब ये भक्त हमारे सेनाओं पर ही उंगली उठा रहे थे जबकि ये कभी नही मानेंगे की मूडीजी जब प्रधान थे तब उसी पाकिस्तान के बदमाश नवाज़ ने उनको देहाती औरत तक कहा था और विडम्बना यह रही कि तब किसी भक्त को बुरा न लगा। ये अपने युवा नेता की तरह ही भुलक्कर है और भूल गए कि कैसे गैस के लिए इन भक्तों को घण्टों लाइन में लगना पड़ता था, कुछ का पटरी पर जाना हाल ही में बन्द हुआ जब पन्द्रह हजार सीधे अकाउंट में आये है!

अब डिजिटल भारत से, अम्बानी के जिओ की इंटरनेट क्रांति से जो ये दिन भर अवेलेबल रहते है इसका श्रेय भी नेहुल को नहीं देते जबकि मूडीजी के 2G घोटाले खैर छोड़िये वो एक आदर्श सकैम युग ही था जब रेनकोट पहन कर नहाना कैसे है यह सिखाने लोग विदेश जाते थे पर निर्लज्ज भक्त कभी नहीं बूझेंगे और ये मजलिस बुलाकर यत्र-तत्र थूकेंगे ही, थूकने से याद आया पत्थरबाजी का जो संक्रमण कश्मीर से पूरे देश मे फैला था उसपर एक अन्य कांग्रेची मामा ने बुलडोजर चढ़ाया और तबसे भक्त ऐसी हराकटो से बच रहे..

भक्तों के कुर्सी की लड़ाई कभी बाग़ मे फ़र्जील लड़ता है तो कभी किसान के नाम पर सामंत, जिओ और पतंजलि से ये न जाने काहे भड़के है! खैर ये विशेष किडनी से बने भक्त कब्बों नहीं मानते की जो असम्भव था उस 370 को हटाने का, अयोध्या में भव्य मंदिर बनाने का और न्यू इंडिया को नई दिशा दिखाने का जो कार्य खान्ग्रेस के बूढ़े नेहुल जी ने किया है वह भक्तों के युवा अम्बेसडर कब्बो न कर पाते, ये सच वो जानते है पर क्रेडिट देने भर से हश्र प्रकाशादित्य सिंधिया से न हो जाये, और फर वो राजा है कार्पेट बिछ गई पर इन कार्यकर्ताओं का क्या होगा यही सोंच सब भक्त अपने युवा को मौका मिलने की आस में आंदोलनों की बाट जोह रहे।

सभी भक्तों को किसान आंदोलन की देर से शुभकामनाएं, आप किसान के कंधे से फायर करते रहिए।

नोट- यह पोस्ट उतना ही सत्य है जितना बिहार में सुशासन की सरकार।
कॉपीराइट बहुते टाइट बोले तो भड़के हुए कौनरेसी सन्नी कुमार के निजी विचार है आप को समझ न आये तो लाइक भी न करे, अगर पूरा पढ़ के वक़्त बर्बाद किया है तो थोड़ा और बर्बाद करो, कमेंट भी कर लो 😊

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