मेरे ‘कुछ’ लोग,

मेरे ‘कुछ’ लोग,
तुम्हारे ‘बहुत’ सारे
बर्बाद करेंगे हमें,
जो मूक रहे प्यारे।

झूठ की राजनीति,
थूक की पन्थनीति,
नापाक करेंगे हमें,
साजिशों की मौननीति!

पत्थरों का फेंकना,
बहादुरों को घेरना,
शर्मिंदा करेंगे हमें,
सच से मुँह फेरना!

मेरे ‘कुछ’ लोग,
तुम्हारे ‘बहुत’ सारे,
बर्बाद करेंगे हमें,
जो मूक रहे प्यारे।

मीठा मीठा चुनना,
मीठा ही बनना,
बर्बाद करेंगे हमें,
कड़वा सच न कहना!

साथ साथ रहना,
विश्वास कम करना,
चिढायेंगे अब हमें,
आपदा में भी लड़ना!

मेरे ‘कुछ’ लोग,
तुम्हारे बहुत सारे,
बर्बाद करेंगे हमें,
जो मूक रहे प्यारे!
©सन्नी कुमार ‘अद्विक’

यह मेरे उन मानवतावादी मित्रों के लिए समर्पित जिन्हें देश मे बढ़ते सम्प्रदायवाद की चिंता है, जो बंगलादेशी घुसपैठियों के लिए तो खूब चींखते है पर इसी देश के डॉक्टर के लिए कोई चिंता नहीं, पत्थर बरसाने वाली भीड़ पर चुप है, जो अनुराग को शेयर करते है और सलमान होते ही पोस्ट हटाते है, उन महान लोगों को यह समर्पित कुछ शब्द है, समझ आये तो समझे…बाक़ी अपन भी समझने में लगे है।
स्टे होम, स्टे ब्लेस्ड!!

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