Khuda ka jannat ho gaya…

तुमसे मिलके दिल ये मेरा,
खुदा का जन्नत है हो गया,
जीने लगी हो तुम जो मुझमें,
मेरा मन वृंदावन है हो गया,
तुमसे मिलके दिल ये मेरा,
खुदा का जन्नत है हो गया।

रहने लगा हूँ खुश अब सबसे,
हर जीव से नाता हो गया,
करने लगा हूँ दिल खोल के बातें,
तुम्हारे ज़िक्र का आदी जो हो गया,
तुम्हारे इश्क का मुझपे चढ़ा है रंग,
फगुनी तुम्हारा होली मैं हो गया..

तुमसे मिलके मन ये मेरा,
खुदा का जन्नत है हो गया…
-सन्नी कुमार

Hindi Poem on Anniversary

To my beautiful wife on our Anniversary..

आज हमारा इश्क़ थोड़ा
और सयाना हो गया,
दिल ने कभी जो ख्वाब न देखे,

वो सब अब हक़ीक़त हो गया…

हर लत से मुझको तौबा ही था,
पर तुम्हारे साथ का आदत हो गया,
जो कभी जीवन मे उतरेगा नहीं,
वो नशा है मुझको हो गया..

तुमसे मिलके दिल ये मेरा,
है खुदा का जन्नत हो गया,
पलते है मुझमें हर ख़्वाहिशें तुमसे,
कि तू मेरा होना है हो गया..

आज हमारा इश्क थोड़ा
और सयाना हो गया..
©सन्नी कुमार

किसी की मृत्यु पर क्या प्रार्थना करे?

हिंदु धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखती है और मैं परिवर्तन में और ये परिवर्तन पुनर्जन्म ही है समझना थोड़ा मुश्किल है पर समझा जा सकता है, अगर बिलीफ, लॉजिक और मैजिक की खिचड़ी बनाये एकदम कांग्रेस और जेडीएस की तरह…I mean येन-केन-प्रकारेण 😉
खैर अपन यह कह रहे थे कि आप ये जो किसी की भी मृत्यु पर उसकी आत्मा के लिए शांति मांगते है या RIP लिखते है वो जायज है अगर आप अब्राहमिक रिलीजन मानते जहां पुनर्जन्म और परिवर्तन नहीं है पर सनातन में पुनर्जन्म की थ्योरी मौजूद है और परिवर्तन भी, अतः अगर आप सनातनी है तो निवेदन है कि दिवंगत आत्मा की सद्गति मांगे शांति नहीं।
पोस्ट नीरव मोदी को समर्पित, मतलब मेरे मोदी विदेश से भारत आ जाओ कोई कुछ नहीं कहेगा 😉
श्री श्री(रविशंकर नहीं)

शहर और गाँव

खरौना तिरहुत नहर

कुम्हार के उस घड़े में भले बर्फ नहीं जमता,
पर पानी ठंडी रहती है।
पीपल के छांव तले AC का शोर नहीं पलता,
वहां तो मदमस्तत हवाएं प्रकृति के गीत गाती रहती है।
गाँवों में आज भी वाटर पार्क और स्विमिंग पूल नहीं मिलता,
वहां बचपन नदी-नहर-तालाबों में तैरती रहती है।
आज जब सुविधाओं से लैश है फिर भी बेचैन है हर शहर,
गाँव अपने कष्टों से लड़ता अपनों में मस्त रहता है।
©सन्नी कुमार

जी. डी. गोयनका में प्रतिष्ठापन समारोह हुआ सम्पन्न

गया शहर में अपनी एक अलग पहचान बना चुके चर्चित विद्यालय, जी. डी. गोयंका पब्लिक में शनिवार को स्कूल ऑडिटोरियम में इंवेस्टिचर सेरेमनी(प्रतिस्ठापन समारोह ) का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को उनकी कर्तव्यों व उत्तरदायित्वो को समझाने और भविष्य में सफल नेता बनने के लिए सशक्त रूप से सक्षम बनाना था। आयोजन की शुरुआत प्राचार्या स्वाति अहमद, एडमिन रौशन सिंह, कॉर्डिनेटर सन्नी कुमार व संदीपिका सिंह द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। ततपश्चात विद्यालय के ही इग्नाइटर बैंड द्वारा स्वागत गीत “आ चल के तुझे” प्रस्तुत किया गया जिसे मौजूद दर्शकों ने खूब सराहा।

आज का दिन नई उम्मीदों को पंख देने का था, नए वादों का था जहाँ कल के लीडर आज अपने कर्तव्यों का भान करते हुए विद्यालय व शहर को अपनी ऊर्जा व क्षमता से विकसित भारत के सपने को आश्वस्त कर रहे थे। आज बच्चो के मतदान द्वारा चुने गए नए सत्र के स्टूडेंट कौंसिल की घोषणा हुई।जिसमें विभिन्न हाउस के कप्तान, उपकप्तान, डिसिप्लिन हेड, स्पोर्ट हेड, कल्चरल हेड, हेड बॉय, हेड गर्ल की घोषणा हुई और उनको सैशे व बैचेस पहनाई गई, साथ ही चयनित प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों का भान कराते हुए प्राचार्या श्री स्वाति अहमद ने शपथ ग्रहण कराया गया।

कौंसिल के लिए हेड बॉय आदित्य, हेड गर्ल गीतांजलि, कल्चरल हेड श्रुति चटर्जी व आतिफ हसन, डिसिप्लिन हेड मुशर्रफ व खदीजा, स्पोर्ट्स हेड आदित्य राज व जुविरिया का चयन हुआ वहीं टेरेसा हाउस कप्तान ऋषित व तनुष्का, टैगोर हाउस कप्तान रवि कुमार रहे।

इस कार्यक्रम में चुनाव प्रक्रिया, परिणाम घोषणा और फिर बच्चों के लिए शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन कराने में समस्त शिक्षकों व एडमिन टीम का योगदान रहा। कुछ शिक्षको, जिसमे SST विभाग के तौसीफ़ सर, प्रीतम सर, फ्रेंच टीचर बिपिन सर, म्यूजिक टीचर साहिल सर, आर्ट्स टीचर तनुजा मैम व डांस टीचर अभिषेक सर का इस कार्यक्रम में अहम योगदान रहा। यह समस्त जानकारी विद्यालय के मीडिया प्रभारी व हिंदी विभाध्यक्ष श्री जनार्दन प्रसाद ने दी।

मेरे शब्द उसके ख्वाब लिखते है

मेरे शब्द उसके ख्वाब लिखते है
और आँसू उसकी हक़ीक़त।

उसकी तस्वीरें दिल को सुकून देते है,

और उसकी याद दिल को तड़प।

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माफ करना मैं मशीन नहीं,
जो तुमको यूजर मैन्युअल दे दूं,
अगर तलब है तो उतरो आंखों में,
मैं तुमको प्यार का दरिया दे दूं।

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अक्सर हम लोगों का उपयोग करते है और मशीनों को समझते है जबकि जरूरत ठीक इसके विपरीत की है।
-श्री श्री (रविशंकर नहीं)

©सन्नी कुमार

-सन्नी कुमार

बड़बोले मत बनिये!

गोलू शरीर से बड़ा था तो मोलू को हमेशा कम आंकता था, वहीं दूसरी ओर मोलू बहुत परिश्रमी था और गोलू को नजरअंदाज करता था। कल की ही बात है जब मोलू ने GPL में 52 रन ठोक दिए वो भी मात्र 23 गेंदों मे पर कप्तान गोलू उससे नाराज रहा और बदले उसकी सराहना करने के उसने सुना दिया ‘कि यार मोलू तुमने 5-7 गेंदे डॉट कर दी वरना और बेहतर मैच बनता’।
मोलू सा हाल ही उस भोली का भी है जो अपने दफ्तर में खूब काम करने के बाद भी सुनती है, और ये सुनना FM सुनने की तरह सुरीला नहीं होता। आज ही कि बात है उसके घण्टों के काम को किसी आरामपसंद बड़बोले ने मिनट भर का बता उसे कम आंक दिया पर आज तो मानो भोली भोली न थी कोई अंजना ॐ कश्यम थी जिसने तराक से पूछ लिया कि महाराज यूं तो दिल्ली एक घण्टे में जाया जा सकता पर क्या आप हेलीकॉप्टर उपलब्ध करा सकते है? मतलब ये कि अगर data सही होगा तभी information सटीक मांगेंगे आप, खेत में गुल्ली डंडा देकर कोहली बन जाऊं ऐसी डिमांड क्यों रखते है….?

मैं माँ को सदा खुश रखूँ

मेरे कोई शब्द इतने मधुर नहीं, कि कोई कविता लिखूं
जिसने मुझे रचा उसके भाव, मैं कैसे रचूं?
वो मेरी उम्मीदों का आसमां है,
उसके दुआओं की बरसात में मैं रोज भिंगु,
उसकी सारी चाहतें, सारे ख्वाब मुझसे है,
कृष्णा देना इतनी हिम्मत मैं माँ को सदा खुश रखूं।
©सन्नी कुमार

(रविवार देख के मदर डे मनानेवालों ये पाश्चातय संस्कृति का ही देन है कि आज वृद्धाश्रम आम हो गया है, निवेदन है कि हर दिन अपनी माँ को अपने परिवार को दे और ये मई के दूसरे रविवार को मनाया जाने वाला दिन पश्चिम को ही मुबारक रहने दो।)

बनवास पे था मेरे घर का बचपन

बनवास पे था मेरे घर का बचपन,
सबको खबर हो वो अब लौट आया है,
चहकने लगी है आज सीढिया छत की,
जो उनसे लिपटने, उनपे रेंगने,
नन्हें कदमों का दौड़ आया है..

सज रही है खिड़की पार की पेड़-पौधे-झाड़ियां,
कि उनको समझने, उनकी बात करने,
नई नज़र लिए मेहमान आया है,
बनवास पे था जो मेरे घर का बचपन,
सबको ख़बर हो वो अब लौट आया है…
-©सन्नी कुमार

बनवास पे था मेरे घर का बचपन,
सबको खबर हो वो अब लौट आया है,
चहकने लगी है आज सीढिया छत की,
जो उनसे लिपटने, उनपे रेंगने,
नन्हें कदमों का दौड़ आया है..

सज रही है खिड़की पार की पेड़-पौधे-झाड़ियां,
कि उनको समझने, उनकी बात करने,
नई नज़र लिए मेहमान आया है,
बनवास पे था जो मेरे घर का बचपन,
सबको ख़बर हो वो अब लौट आया है….

©सन्नी कुमार

मिलना जब जरूरी हो

मिलना जब हो जरूरी,
तो अक्सर पल नहीं मिलते,
लिखना जब हो कुछ खास, तो अक्सर शब्द नहीं मिलते,
आज जब चाहता हूं कि मिलके दूँ तुम्हें मुबारकबाद,
समय का खेल है ऐसा
कि अब आप नहीं मिलते।

है यादों में हमारे,
आपका रोज ही आना,
पर अब यादों से इतर,
हम रूबरू नहीं मिलते,
हो आपको खबर ये कि
अब भी बहुत मानते है हम,
जताते दिल के हर जज़्बात,
जो एक बार तुम मिलते।
©सन्नी कुमार

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