काश दीवारों के भी जुबान होते

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Sunny Kumar

काश दीवारों के भी जुबान होते,
फिर हम उस महफ़िल में न बदनाम होते,
लोगों का दोष क्या कहे अब,
जब भीष्म मजबूरी का रोना रोते रहे,
और कौरव घिनौनी हरकतों पे हंसते रहे,
शुक्र है कि कल द्रौपदी को बचाने आये भगवान कृष्ण थे,
पर आज क्यों कृष्ण दीवारों में ही कैद रहे?
काश जिस इमारत ने देखी थी नीति और नियत मेरी,
उन दीवारों के जो जुबान होते,
फिर हम उस महफ़िल में न बदनाम होते…
-सन्नी कुमार ‘अद्विक’

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Krishna Bless Us.

आज तू और आसमां

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Wd Love

आज तू और आसमां, मुझपे दोनों ही मेहरबान है..

तुम्हारे एहसासों की गर्मी और ये बारिश की नरमी,
हर रिश्ते की गर्माहट, देती खुशियों की नई आहट,
सपनों से अपनों तक का करता आज सफर,
ये खूबसूरत लम्हें ही तो है, जिनपे करूं मैं खूब फकर..

आज तू और ये रेल, मुझपे दोनों ही मेहरबान है..
तुम्हारे दिल पे मेरा जोर, और इंजन के सीटियों का शोर,
है ये रोमांचकारी भोर, जो ले जा रहा सपनों की ओर,
सरपट दौड़ता ट्रेन का चक्का, और साथ तुम्हारा पक्का,
ये मिट्टी की ख़ुशबू वाला इत्र, और तुम्हारा मेरे कंफर्ट को लेकर फ़िक्र,
ये खूबसूरत यात्राएं हीं तो है, जिनका करूं मैं खूब जिक्र..
-सन्नी कुमार

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