वो तो बस हिन्दी होती

FB_20170509_22_11_20_Saved_Pictureजब भी करनी हो मन को मन से बात,
भाषा हिन्दी होती है,
गूँजते है जो प्रार्थनाओं में बोल,
वो बोली हिन्दी होती है..

ख्वाब, जो खूब रिझाते है हमको,
उन ख्वाबों का माध्यम हिन्दी होती है,
जीवन के सोलहवें बसंत में,
जब सब कुछ नया-नया प्रतीत होता है,
उस जज्बातों के परिवर्तन में,
जो शब्द कागज़ पे अंकित होते है,
उनकी भाषा भी हिन्दी होती है..

माँ-बच्चे के बोली में,
बचपन की हर हमजोली में,
हम जो कहते सुनते है,
वो अपनापन हिन्दी होती है..

शब्दों का अंबार लिए,
सम्मानों की बात किए,
जो सबके दिल को छू जाए,
वो तो बस हिन्दी होती है..
-सन्नी कुमार

आप सबको हिन्दी दिवस (१४ सितंबर) की अग्रिम शुभकामनाएँ।
मेरी अन्य कविताएँ यहाँ पढ़ें।
sunnymca.wordpress.com

 

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