आशाओं के पंख लगाकर,
आशाओं के पंख लगाकर,
जब आसमान में उड़ता है ,
नई सोच के सहारे,
एक नयी दुनिया को पाता है..
तरक्की हर ओर जहाँ है,
और न कोई तकरार है..
लोगो में सद्भाव जहा है,
और बनी हुई, समता है..
मत भिन्नता है जहाँ,
पर न कोई मतभेद है..
हर कोई जहा जीता है खुद को,
ऐसा स्वछन्द समाज है…
बुराईयाँ तो यहाँ भी है,
पर उससे बड़ी अच्छाई है.
झूठ पहुचां यहाँ भी है,
पर उससे बड़ी सच्चाई है….
आशाओं के पंख लगाकर,
जब आसमान में उड़ता है मन,
नई सोच के सहारे,
एक नयी दुनिया को पाता है..
-सन्नी कुमार
[एक निवेदन- आपको हमारी रचना कैसी लगी कमेंट करके हमें सूचित करें. धन्यवाद।]
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