माना मैंने ताजमहल नहीं बनाया है,
पर मैंने किसी और का महल भी नहीं गिराया है..
माना मैं अब तक हूँ महरूम, शोहरत की रौशनी से,
पर फिर मैंने कर बदनाम किसी को, अंधेरा भी नहीं फैलाया है..
माना मेरे(श्री श्री रविशंकर नहीं) वचन, प्रवचन की श्रेणी में अब तक नहीं आते,
पर मैंने किसी को अब तक छल-प्रपंच भी नही सिखाया है..
माना मैने ताजमहल नहीं बनाया है,
पर मैंने किसी और का महल भी नहीं गिराया है..
©सन्नी कुमार
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