आजाद हिन्द की आवोहवा में,
ये विष किसने फैलाया है,
क्रांति के बहाने राष्ट्र में,
सत्तासुख को बस पाया है।
आजादी को हथियार बनाकर,
राष्ट्रीय अखंडता को आघात पहुंचाया है,
शिक्षा के मंदिर को किसने,
उन्मादी विषविद्यालय बनाया है?
अधिकारों का बहाना बताकर,
अश्लीलता समाज में फैलाया है,
संस्कृति का घोट गला कल,
किसने ‘किस आफ लव’ मनाया है?
सौहार्दपूर्ण माहौल था किसने,
फिर बीज फूट का डाला है,
है वो किनके नाजायज़ औलाद,
जिन्होंने राष्ट्र विरोधी नारा लगवाया है?
अपने राजनीति को चमकाने के चक्कर में,
किसने गजेन्द्र को लटकाया है,
लाज बेचकर सत्तासुख पानेवालों,
कहो कौन सी कीर्ति रचाया है?
आजाद हिन्द की आवोहवा में,
ये विष किसने फैलाया है,
गरीबी से लड़ने का ढोंग रचाकर,
गरीबों के हक को ही मारा है।
किसानों संग तस्वीर खींचाकर,
दिल्ली में उल्टे महंगाई का शोर लगाया है,
सत्ता का रास्ता खुला रहे सो,
आरक्षण को मुद्दा बनाया है।
समानता को फांस लगाकर,
किसने आत्मनिर्भरता को कुल्हाड़ी मारा है??
-सन्नी कुमार
(more to add)
sunnymca.wordpress.com
आजादी को हथियार बनाकर,
राष्ट्रीय अखंडता को आघात पहुंचाया है, Very true… ajadi ko hi to sabne hathiyar banaya hai
Thank u fr reading me ma’am
प्रश्न सही पूछा है आपने.
koi jawaab deta nhi….;likh k nirashawadi ho rahaa hun
लेकिन लोगों को आपने सोचने के लिये बाध्य तो किया. लिखते रहिये.
dhanywaad…ek matlab samjhaane k liye
कविता के माध्यम से एक कङवा सत्य व्यक्त करने की अच्छी कोशिश
Dhanywaad mujhe padhne k liye…. keep visiting
सराहनीय रचना 👍👍👍👍
dhanywaad…
सही बात है आपकी , सब वोट बैंक और सत्ता सुख के लिए किया है इन राजनेताओं ने !
Dhanywaad bajrangii bhaiya
Nice one
Thank you rohit 🙂