बिहार में जातिवाद आज भी है और अक्सर लोग पूछ लेते है आपकी जाती क्या है? यह छोटा सा जवाब उन्ही लोगो के लिए है…
जब मैं बच्चो के साथ होता हूँ, उन्हें कुछ सीखा रहा होता हूँ मैं ब्राह्मण होता हूँ, खेत में डनेर पर खड़ा होकर जब मजदूरों से काम लेता हूँ मैं भूमिहार होता हूँ, जब किसी म्लेच्छ को उसकी औक़ात बता रहा होता हूँ, गुस्से में होता हूँ मैं क्षत्रीय होता हूँ, अपने दफ्तर में मुस्कुराता हुआ चेहरा लिए जब मैं व्यापर की बात करता हूँ मैं वैश्य होता हूँ और जब झाड़ू लेकर सड़क की सफाई करता हूँ या कोई और सेवा कर रहा होता हूँ मैं शुद्र होता हूँ। हर पल हर काम में मैं हिन्दू होता हूँ, यही मेरी जात है 🙂
good one Sunny, meri jadi manushya hai, or may be earthling hai 🙂
Earthling,matlab puri swatantra, swacchhand..bahut accha 🙂
bahut khuboo.. sahi likha hai
धन्यवाद अभिषेक जी 🙂
साधुवाद सुंन्य. बड़े सही विचार लिखे हैं. सच चारों जातियां हर एक मनुष्य में
ही हैं. जातिवाद ने देश को दीमक की तरह चाटा है. इसके नुक्सान भी भुगते पर
लोग हैं की सुधरने का नाम ही नहीं लेते.
इसी के सहारे राजनीती जो चलती है, और मुझे निजी तौर पे लगता है की जातिवाद को बहुत हद तक सम्विधान ने बढ़ावा दिया है…खैर देर सबेर हमलोग इससे भी बड़ी हो जायेंगे 🙂
मुझे निजी तौर पे लगता है की हम पुराने जमाने के वर्ण व्यवस्था को नहीं समझ सके, नेताओं ने और हमारे सम्विधान ने हमे बांटे रखा और हम पिछड़ गए। भारत के पिछड़ेपन में एक बड़ा कारक जातिवाद भी है जिसके पेट से पैदा हुआ आरक्षण इस देश की गुणवत्ता पर हर रोज तमाचे मार जाता है, यह आरक्षण हर रोज मेधा का बलात् करता है पर बुद्धिजीवियों को परवाह नहीं और नेता अपनी वोट के चक्कर में फंसे पड़े है 😦
बचपन में बच्चे इन सब चीजो को नही मानते, विद्यालय में जात नही होती पर फिर सीख लेते है और इसके कई कारन है जिनपे प्रहार समय की मांग है
Ekdam sahi vichar hai.