२०१४, यह वर्ष हर रंग समेटे हुए था, जहाँ कुछ नए लोगों को जाना हमने वही खुद को भी खोया इस वर्ष, कई नए प्रयोग हुए, पेशेवर जिंदगी में कई नए प्रयास किये तो निजी जिंदगी में ख्वाब टूट कर किस्से बनें, अपनों से जुडी कुछ चिंताएं दूर हुयी, तो कुछ इन्तेजार ख़तम भी हुए इस वर्ष. देश की राजधानी से राज्य की राजधानी का अंतर भी समझ आया और फिर अकेलापन का मन पे बोझ. खैर, २०१४ में कुल मिलाकर हमने खूब सीखा जिंदगी को, लोगों को, खुद को और उम्मीद है १४ की सीख १५ में और आने वाले हर दिन में खूब काम आएगी. यहाँ मैं धन्यवाद देना चाहूँगा उन दोस्तों को जो हमेशा उपलब्ध होते थे और जिनके सहारों ने हमें संवारा है. आने वाला साल में यही कोशिश होगी कि शिक्षा और शिक्षण संस्थानों का सही प्रचार प्रसार करता रहूँ, लोगों तक अपनी जानकारी पहुंचाता रहूँ, कृष्णा के और करीब पहुंचू, थोडा जीऊं खूब लिखूं और यादों को आज खरीदने की इजाजत न दूँ.
नव वर्ष की मंगल कामनाओ सहित.
आपका सन्नी
bhot acha h dear
thank u