
न जाने क्या याद आता है,
की उन्हें याद करने की कोशिश में,
हम खुद को भूल जाते है..
चाहता हूँ इन नज़रों से नज़र मिलाना,
पर ना जाने क्यूँ,
नज़र मिलते ही नज़रें फेर लाता हूँ,
हसरत है कहूँ इनसे अपने दिल की बातें,
पर होठों पे न जाने क्यूँ,
दिल के जज्बात नहीं आते..
– सन्नी कुमार
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