ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
तू बसा के ला उस खुशबू को,
हो कम जिससे इस दिल के जख़म,
और सांस मिले इन सांसो को,
ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
तू बसा के ला मेरी चाहत को…
होगी सहमी-सिहरती मेरी परी,
उसे प्यार के चादर में लिपटा,
हो रही आस में आँखें पत्थर,
उसको मेरे जज़्बात बता,
ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
तु बसा के ला मेरी चाहत को…
मेरे शब्दों का कुण्डल बनाके,
ऐ सर्द हवा उसको पहना,
है जमा रही मुझे दूर की सर्दी,
मेरे महबूब को मेरी रज़ा बता,
ऐ सर्द हवा कर इतना रहम,
तु बसा के ला मेरी चाहत को…
ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
दूर ले जा धूंध की दूरी को,
खिले जीवन में फिर इश्क़ के धूप,
तू संग ले आ मेरी रौशनी को,
तापे तुम संग फिर अलाव मिलकर,
ये हसरत उस तक पहुंचा…
ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
मेरे ख्याल बता मेरी प्रियतम को,
लौटे जल्दी ही मिलन के लम्हे,
और ख्वाब खिले फिर जीवन में,
ऐ सर्द हवा कर थोड़ा रहम,
तु बसा के ला मेरी चाहत को….
-सन्नी कुमार
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Thank you for inspirations…
It’s awesome…
Dhanywaad
very nice
Thank you for reading me.
bahut khub
Aabhar aapka
बहुत खूब।
Bahut hi sundar 🙂
Dhanywaad..
bahut sundar kavita…..border film ki gaane ko yaad dilaati huyee…..badhiya kavita.
Shukriya Sir.
very true
Nice
Thank
Woww..so touchy
Good Morning. Thank you for reading n responding.